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रामानंद सागर की ‘रामायण’ में पुष्पक विमान, जटायु और रामसेतु की रोमाँचक गाथा
News Date:- 2024-07-01
रामानंद सागर की ‘रामायण’ में पुष्पक विमान, जटायु और रामसेतु की रोमाँचक गाथा
vaishali jauhari

लखनऊ,01 Jul 2024

'रामायण' में रामानंद सागर कैसे उड़ाते थे ‘पुष्पक विमान’ और ‘जटायु’ ? आखिर कैसे बनाया गया था ‘रामसेतु’ ?

साल 1987 में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला 78 एपिसोड वाला धारावाहिक ‘रामायण’, जिसे आज भी दर्शक बड़े चाव से देखते हैं और पसंद करते हैं. साल 1988 तक हर रविवार सुबह 9:30 बजे प्रसारित होने वाले इस धारावाहिक ने कई वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाये. जिसमें कलाकारों, कहानी, दृश्य और सेट्स की बात करें तो सब कुछ बेहद शानदार था. युद्ध से लेकर धनुष-बाण और कुंभकर्ण के वध तक, हर सीन को गज़ब तरकीबों से शूट किया गया जिसने हर किसी को हैरान कर दिया था.

'रामायण', 80 के दशक का एक ऐसा करिश्माई धारावाहिक जो भारतीय टेलीविज़न के इतिहास का सबसे सफल धारावाहिक बना. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 'रामायण' में कुछ ऐसे भी दृश्य थे जिनके लिए किसी भी तरह के स्पेशल इफेक्ट्स का इस्तेमाल नहीं किया गया था?

यूँ तो 'रामायण' धारावाहिक के हर सीन ने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी. लेकिन क्या आपने सोचा है जब वीएफएक्स या सीजीआई जैसी तकनीकें नहीं हुआ करती थीं. उस वक्त जटायु को या पुष्पक विमान को या राम भक्त वीर हनुमान को हवा में उड़ाना आसान नहीं होता था. रामानंद सागर की 'रामायण' में ये रोमाँचक सीन आखिर कैसे शूट किये गये होंगे? इसे बनाने के पीछे की क्या थी दिलचस्प कहानी? आइये जानते हैं.

बात करें 'रामायण' में पुष्पक विमान की तो लगभग दस हजार साल से यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है. 'रामायण' में दिखाया गया पुष्पक विमान पूरी तरह से कल्पनाओं पर आधारित था क्योंकि किसी ने पुष्पक विमान को कभी देखा नहीं था. मौजूद साक्ष्यों के आधार पर रावण के व्यक्तित्व के हिसाब से स्कैच बनवाये गये. कुछ लोगों को स्कैच दिखाये गये और बाद में पुष्पक विमान का एक खास मॉडल तैयार किया गया.

इसी तरह रामानंद सागर ने अपने निर्देशन में जटायु के सीन को जीवन्त और वास्तविक दिखाने के लिए कई अनूठी तकनीकों का प्रयोग किया था. उस समय के सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने जटायु के उड़ने वाला सीन बेहद प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया. रामानंद सागर की 'रामायण' की विशेषता थी उनकी जुगाड़ू और क्रियेटिव सोच. जटायु के सीन को फिल्माने के लिए उन्होंने उस समय के स्पेशल इफेक्ट्स और प्रोस्थेटिक्स का इस्तेमाल किया.

बता दें जटायु, गरुड़ पक्षियों के वंशज थे जो आसमान में सबसे ऊँची उड़ान भर सकते थे. उनके भाई सम्पाती सीता की खोज के लिये दक्षिणी समुद्र तट पर गये थे और रावण से लड़ते हुये वीरगति को प्राप्त हो गये थे.

इस तरह उड़ाया जाता था जटायु:

'रामायण' में जटायु गिद्धराज का किरदार निभाने वाले सुनील वर्मा को हवा में उड़ाने के लिए एक चतुर तरकीब निकाली गई थी. दरअसल जटायु का कॉस्ट्यूम बहुत भारी था. सबसे पहले तो कॉस्ट्यूम में एक्टर के हाथ बांधे जाते जिससे वह अपने पंखों को हिला सके. इसके बाद पैरों में रस्सियाँ बांधी जाती और कॉस्ट्यूम में लगे हुक को क्रेन की मदद से ऊपर उठाया जाता था. रस्सियों को छिपाने के लिए हरे रंग का कपड़ा इस्तेमाल किया जाता, जो आसमान के नीले रंग में मिल जाता था. इस तरह जटायु हवा में उड़ता हुआ दिखाई पड़ता.

गौरतलब हो सीन को शूट करने के लिए जटायु का मेकअप और प्रोस्थेटिक्स का इस्तेमाल किया गया था. इसके अलावा हवा में उड़ने का सीन असली जैसा दिखाने के लिये पुली सिस्टम का उपयोग किया गया था. सीन को फिल्माने में बहुत ही मुश्किल होती थी. इसी तरह धारावाहिक में रावण का महल, जो सिर्फ चार फीट का था. ट्रिक फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की सहायता से उसे भी बड़ा दिखाया गया.

यहाँ शूट किया गया था रामसेतु वाला सीन:

रामानंद सागर के धारावाहिक ‘रामायण’ में रामसेतु वाले सीन की शूटिंग और नदी में पत्थरों को तैराने की कहानी भी बड़ी रोमाँचक है. इस सीन की शूटिंग चेन्नई में की गयी थी. जिसके लिए रामानंद सागर ने डेढ़ फीट लकड़ी के टुकड़े का रामसेतु का मिनियेचर बनवाया था और उस पर छोटे-छोटे पत्थर चिपकाये गये जो बिलकुल असली लगते थे और कैमरा ट्रिक से इन्हें बड़ा दिखाया गया था. कुछ असली तो कुछ एक्रेलिक पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था.

'रामायण' की प्रसिद्धि सिर्फ इसकी कहानी तक ही सीमित नहीं थी वरन इसके तकनीकी पहलुओं और रामानंद सागर की निर्देशन शैली ने इसे एक कालजयी कृति बना दिया. रामानंद सागर की 'रामायण' की विशेषता थी उनकी सटीकता और कड़ी मेहनत. उनके निर्देशन में हर सीन को इस तरह से फिल्माया गया कि वह दर्शकों के दिलों में बस जाये.

'रामायण' की प्रसिद्धि आज भी बरकरार है. वहीं मार्च,साल 2020 में इसके री-टेलीकास्ट ने नई पीढ़ी को इसका दीवाना बना दिया है. रामानंद सागर का 'रामायण' मात्र एक धार्मिक धारावाहिक ही नहीं है बल्कि यह भारतीय टेलीविजन का एक सुनहरा अध्याय भी है. आज भी इस महान धारावाहिक के एपिसोड यूट्यूब पर उपलब्ध हैं.

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